जून से लग सकता है ज्यादा ब्याज का झटका, खत्म हो सकता है सस्ते लोन का दौर

महंगाई के 17 महीनों के उच्च स्तर पर पहुंचने के साथ ही ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी बैठक में नीतिगत दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। इसका कारण यह है कि केंद्रीय बैंक के पास विकास को बाधित किए बिना कीमतों को नियंत्रित करने के सीमित विकल्प हैं।

आरबीआई अगली बैठक में रेपो दर में बढ़ोतरी करने का फैसला करता है तो इसका सीधा असर फ्लोटिंग दर पर लोन लेने वालों पर होगा। उनकी ईएमआई में बढ़ोतरी हो जाएगी। स्थायी दर पर लोन लेने वालों पर कोई असर नहीं ।

खाद्य महंगाई और तेल की ऊंची कीमतों के कारण पिछले महीने यानी मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई है। अर्थशास्त्री महंगाई के अधिक व्यापक होने के कारण चिंतित हैं। हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि महंगाई अस्थायी है। इसके उलट यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर ईंधन की कीमतों में तेजी आ रही है। ऐसे में अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आरबीआई जून की द्विमासिक मौद्रिक समिति की बैठक में नीतिगत दरों में 25 आधार अंक या .25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है।

ब्याज में वृद्धि से ईएमआई का बोझ बढ़ेगा

यदि आरबीआई अगली बैठक में रेपो दर में बढ़ोतरी करने का फैसला करता है तो इसका सीधा असर फ्लोटिंग दर पर लोन लेने वालों पर होगा। ऐसे लोगों की ईएमआई में बढ़ोतरी हो जाएगी। हालांकि, स्थायी दर पर लोन लेने वालों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनकी ईएमआई यथावत रहेगी।

गवर्नर दे चुके हैं सख्ती का संदेश

आठ अप्रैल को मौद्रिक नीति समिति के फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि अब समय आ गया है जब केंद्रीय बैंक को अपनी प्राथमिकता वृद्धि के बजाय मुद्रास्फीति प्रबंधन की तरफ केंद्रित करनी होगी। दास ने कहा था कि मौद्रिक नीति की प्राथमिकताओं में वृद्धि पर मुद्रास्फीति प्रबंधन को तरजीह देने का यह उपयुक्त समय है। इस रुख में तीन साल बाद बदलाव हो रहा है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को भी बढ़ाया है, जो इसका संकेत देता है।

छह फीसदी तक पहुंच सकती है रेपो दर

ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने हाल ही में एक नोट में कहा है कि महंगाई में हो रही लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए आरबीआई अगली आठ बैठकों में हर बार रेपो दर में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर सकता है। इसके कारण वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में रेपो दर छह फीसदी तक पहुंच सकती है। नोट में कहा गया है कि 2022 में किसी एक बैठक में रेपो दर में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी भी की जा सकती है।

11 बार से कोई बदलाव नहीं

आरबीआई ने नीतिगत दरों में 11 बार से कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो दरों में आखिरी बदलाव 22 मई 2020 को किया गया था। आरबीआई ने छह से आठ अप्रैल के बीच हुई बैठक में भी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इस समय रेपो दर चार फीसदी और रिवर्स रेपो दर 3.35 फीसदी है। रेपो दर वह दर है, जिसपर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज देता है। जबकि रिवर्स रेपो दर के तहत बैंकों को अपना पैसा आरबीआई को देने पर ब्याज मिलता है।

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