अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद सख्ती, धामी सरकार का होटलों-रिजॉर्ट्स पर एक्शन

पर्यटन विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक दून जिले में 1250 और देहरादून शहर व आसपास 350 के करीब होटल-रिजॉर्ट हैं। सूत्रों के मुताबिक असल संख्या इससे ज्यादा है। इनमें से ऐसे होटल रिजॉर्ट जो नदी किनारे मानकों को ताक पर रखकर बने हैं। उन्हें एमडीडीए चिह्नित करेगा। एमडीडीए प्रबंधन ने 26 सेक्टरों में तैनात समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी है।

अंकिता हत्याकांड के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बाद मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) प्राधिकरण के अंतर्गत  बने होटल-रिजॉर्ट का सत्यापन शुरू करने के लिए अभियान शुरू करेगा। इनमें से जो भी अवैध रूप से या मानकों को ताक पर रखकर बने होंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

जल्द टीमें अपने-अपने सेक्टरों में काम शुरू करेंगी। नदी किनारे बने हैं कई होटल रिजॉर्ट : मसूरी, डाकपत्थर से लेकर देहरादून के बीच, ऋषिकेश, मालदेवता क्षेत्र समेत विभिन्न इलाकों में कई होटल रिजॉर्ट बिना एमडीडीए की अनुमति के बने हैं। जहां बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों से भी पर्यटक आकर रुकते हैं। ऐसे में कहीं भी अनैतिक गतिविधियां न हो, इसके लिए ऐसे होटल रिजॉर्ट संचालकों पर शिकंजा कसने की तैयारी है।

ऋषिकेश में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण 

ऋषिकेश में नदी के किनारे बड़ी संख्या में बिना एमडीडीए की अनुमति के कच्चा पक्का निर्माण कर हट्स, होटल रिजॉर्ट बन रहे हैं। यही हाल कुठाल गेट से लेकर मसूरी के बीच मुख्य सड़कों के किनारे, मसूरी, चकराता क्षेत्र का है। जबकि नदी से एक उचित दूरी पर ही कोई निर्माण कार्य हो सकता है।

जिलाधिकारी सोनिका जारी कर चुकी हैं सख्त निर्देश

एमडीडीए में उपाध्यक्ष का पद संभालने के दौरान ही जिलाधिकारी सोनिका ने समस्त अधिकारियों को अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। ऐसे में अब अवैध रूप से बने होटल-रिजॉर्ट के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तय मानी जा रही है।

व्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए कदम उठाने की जरूरत

देहरादून में कुठाल गेट से आगे, मालदेवता क्षेत्र, ऋषिकेश में नदी से सटे इलाकों में हट्स की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन इनमें कई जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। आने-जाने वालों का विधिवत रिकॉर्ड कई संचालक नहीं रखते। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए शासन और प्रशासन के स्तर से ठोस कदम उठाने होंगे।

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