PM मोदी को मिले उपहारों के लिए जमकर बोली लगा रहे लोग, स्वच्छ गंगा मिशन में होगा राशि का इस्तेमाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उपहारों की ई-नीलामी से मिली राशि का इस्तेमाल ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के लिए करने का ऐलान किया था। उनके इस फैसले ने देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों को इन वस्तुओं की बोली लगाने के लिए आकर्षित किया है। उडुपी में चार्टर्ड अकाउंटेंट के. रंगनाथ आचार और रायपुर में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर संजीव जैन ने मोदी को दिए गए कुछ उपहार खरीदे हैं। उन्हें भरोसा है कि इस प्रकार की बोली से पवित्र नदी गंगा को साफ करने में मदद मिलेगी।

जैन ने कहा कि पीने का पानी विश्व स्तर पर एक बड़ा मुद्दा है और भारत में इसके लिए गंगा नदी से बड़ा कोई स्रोत नहीं है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के लिए मोदी से बेहतर कोई नहीं है। वह 2019 से ई-नीलामी के माध्यम से विभिन्न वस्तुओं की खरीद कर रहे हैं और उन्होंने अभी तक खरीदारी पर लगभग तीन लाख रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने 1.75 लाख रुपये में भगवान विष्णु की एक मूर्ति खरीदी, जो प्रधानमंत्री को उपहार के तौर पर दी गई थी।

‘नदी को प्रदूषण से मुक्त देखने की उम्मीद’

आचार ने पिछले साल भगवान कार्तिकेय का एक चित्र खरीदा था। उन्होंने कहा कि वह इस साल भी नीलामी में भाग लेंगे। उन्होंने कई अन्य लोगों को भी नीलामी में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने गंगोत्री से पश्चिम बंगाल तक गंगा नदी के माध्यम से यात्रा की है, जहां यह नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है। उन्होंने कहा कि वह पवित्र नदी को सभी प्रदूषण से मुक्त देखना चाहते हैं।

ई-नीलामी को मिला जबरदस्त समर्थन

रंगनाथ आचार ने कहा कि नदी की सफाई के लिए नीलामी से हुई आय का उपयोग करना एक अनूठा विचार है। मैं प्रधानमंत्री की परिकल्पना की प्रशंसा करता हूं और इसका समर्थन करने के लिए अपने प्रयास के तहत नीलामी में भाग लेता हूं। वहीं, एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल ई-नीलामी को जबरदस्त समर्थन मिला था, क्योंकि पूरे भारत के लोगों ने बेस प्राइस की तुलना में बहुत अधिक बोली लगाकर विभिन्न उपहारों और स्मृति चिह्नों को हासिल किया था।

मालूम हो कि 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने गंगा नदी में प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और कायाकल्प के लिए नमामि गंगे मिशन शुरू किया था। अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस तरह के अभियान को सफल बनाने के लिए अक्सर जनभागीदारी पर जोर दिया है। देश-विदेश में उन्हें मिले उपहारों की ई-नीलामी की जाती है और नीलामी से प्राप्त राशि को नदी के कायाकल्प के लिए दान कर दिया जाता है।

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