परंपरा भाषा और संस्कृति का जीवंत दर्शन है संस्कृत ग्राम मत्तूर- डॉ धन सिंह रावत

dainik khabar

कर्नाटक राज्य के शिवमोग्गा जिले में स्थित मत्तूर ग्राम, भारत का एक अनूठा गाँव है जहाँ संस्कृत भाषा आज भी दैनिक जीवन की जीवंत धारा है। इस अद्वितीय ग्राम में आज उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री (शिक्षा एवं संस्कृत भाषा) डॉ. धन सिंह रावत ने अधिकारियों और प्रतिनिधिमंडल के साथ साक्षात भ्रमण किया।

इस अवसर पर डॉ. रावत ने गाँव की वैदिक जीवनशैली, गुरुकुल परंपरा, संस्कृत शिक्षण पद्धति और ग्रामवासियों की भाषा-निष्ठा का निकट से अवलोकन किया। उन्होंने ग्राम के विद्यालय, मंदिर एवं गुरुकुल में विद्यार्थियों और आचार्यों से संवाद भी किया।

डॉ. धन सिंह रावत ने कहा
“मत्तूर केवल एक ग्राम नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का प्रतीक है। यहाँ संस्कृत केवल बोली नहीं जाती, बल्कि जीवित है – व्यवहार, शिक्षा और संस्कार में। यह भ्रमण हमारे लिए एक प्रेरणास्पद अनुभव है, जो उत्तराखंड में संस्कृत ग्राम की स्थापना की दिशा में मार्गदर्शक बनेगा।”

डॉ. रावत ने ग्राम के नागरिकों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को भी श्रद्धा एवं ध्यानपूर्वक सुना। उन्होंने इसे “जन-जन को जोड़ने वाला संवाद” बताया जो संस्कृति और राष्ट्रनिर्माण की चेतना को जीवित करता है।

भविष्य की योजना: उत्तराखंड में संस्कृत ग्राम की स्थापना

इस अध्ययन और संवाद के पश्चात डॉ. रावत ने संकेत दिया कि उत्तराखंड सरकार राज्य में एक “संस्कृत ग्राम” की स्थापना की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि:

संस्कृत ग्राम में संपूर्ण संवाद संस्कृत में होगा

गुरुकुल आधारित शिक्षा पद्धति को पुनः जीवंत किया जाएगा

संस्कृत के साथ आधुनिक कौशल और तकनीक का समन्वय किया जाएगा

यह ग्राम संस्कृति, शिक्षा और भाषाई गौरव का केंद्र बनेगा, जो आने वाली पीढ़ियों को भारतीय परंपराओं से जोड़ने में सहायक होगा।
मत्तूर ग्राम के भ्रमण ने यह प्रमाणित किया कि यदि इच्छा और सामाजिक सहयोग हो, तो संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा को भी जीवन के केंद्र में लाया जा सकता है।
उत्तराखंड सरकार इस दिशा में सार्थक और ठोस प्रयास कर रही है।

कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत द्वारा संस्कृत ग्राम में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत फलदार वृक्ष का रोपण भी किया

इस अवसर पर सचिव दीपक कुमार कुलपति दिनेश चंद्र शास्त्री की निदेशक आनंद भारद्वाज सचिव वाजश्रवा आर्य हरीश गुरुरानी किशोरी लाल उपस्थित रहे।

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